श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, इसे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। मथुरा नगरी में असुरराज कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्द्ध रात्रि में चन्द्रोदय के समय जन्म लिया था। उस समय रोहिणी नक्षत्र था। यह त्योहार कुछ महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहारों में से एक है।
दिनांक - 12 अगस्त 2020
दिन - बुधवार
मुहूर्त - 23:45 से 24:30 तक
नियम - अष्टमी तिथि पहले दिन अर्द्ध रात्रि में विद्यमान हो तो व्रत पहले दिन ही किया जाता है। अष्टमी तिथि दूसरे दिन अर्द्ध रात्रि में विद्यमान हो तो व्रत दूसरे दिन ही किया जाता है। अष्टमी तिथि दोनों दिन ही अर्द्ध रात्रि में विद्यमान हो तो व्रत रोहिणी नक्षत्र वाले दिन ही किया जाता है। रोहिणी नक्षत्र दोनों दिन ही अर्द्ध रात्रि में विद्यमान हो तो व्रत दूसरे दिन ही किया जाता है। रोहिणी नक्षत्र दोनों दिन ही न हो तो व्रत दूसरे दिन ही किया जाता है। अष्टमी तिथि दोनों दिन ही अर्द्ध रात्रि में विद्यमान न हो तो व्रत दूसरे दिन ही किया जाता है।
विधि - इस व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है। हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर संकल्प करके मध्याह्न में काले तिलों का जल छिड़ककर माता देवकी के लिए प्रसूति गृह बनाएं एवं सुन्दर बिस्तर पर कलश स्थापना करें। भगवान कृष्ण एवं माता देवकी का संयुक्त चित्र लगाएं। फलाहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है।
आप सभी पाठकों को एस्ट्रोसूत्र टीम की ओर से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!