



सनातन धर्म तीज-त्यौहारों के लिए प्रारम्भ से ही जाना जाता रहा है। प्राचीन काल से ही यह पर्व सतत रूप से मनाये जा रहे हैं। हमारे त्यौहार अपने प्रियजनों से मेल-मिलाप का माध्यम रहे हैं, इसलिए भारत सहित विश्व के कई देशो में हमारे त्यौहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हमारा देश अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। सदियों से हमारी यह संस्कृति संसार को अपनी ओर आकर्षित करती आयी है। जिस प्रकार मौसम के कई रूप हैं उसी प्रकार यहाँ की संस्कृति में भी विविधता है। उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक, गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक विभिन्न प्रकार की लोक संस्कृतियाँ देखने को मिलती हैं। यहाँ भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार लोगों की भाषाएँ, वेश-भूषा, रंग-रूप और कद कांठी भले ही अलग हों परंतु हमारा राष्ट्र सनातन परंपरा के कारण एक सूत्र में बंधा है। हमारे धर्म में मनाये जाने वाले सभी त्यौहार धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द, भाईचारा, प्रेम और एकता का संदेश देते हैं अर्थात हम यह कह सकते हैं कि प्रत्येक पर्व किसी न किसी विशेष उद्देश्य के लिए मनाया जाता है। हमारे धर्म के कई त्यौहार ऐसे हैं जिन्हें आज हम वैश्विक पर्व भी कह सकते हैं, इनमें दीपावली, होली, रक्षा बंधन, दशहरा, नवरात्रि आदि अत्यंत ही लोकप्रिय पर्व हैं। जिन्हें देश और दुनिया में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है, इसके अलावा भी कई क्षेत्रीय त्यौहार हैं जो अपनी विशेषता के कारण प्रसिद्ध हैं। प्रत्येत माह में कोई न कोई बड़ा धार्मिक अथवा सांस्कृतिक त्यौहार अवश्य ही मनाया जाता है। व्रत एवं त्यौहार के दिन पूजा-विधि का विधान है, जिसमें नियमों के अनुसार ईश्वर की आराधना की जाती है, ऐसे कार्यों को शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है, क्योंकि शुभ मुहूर्त पर किये गए कार्य का परिणाम मंगलकारी और जीवन में खुशहाली लाने वाला होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ब्रह्मांड में होने वाली खगोलीय घटनाओं का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि विभिन्न ग्रहों की चाल के फलस्वरूप जीवन में परिवर्तन आते हैं, यह परिवर्तन हमें अच्छे और बुरे समय का आभास कराते हैं।
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जय श्री रवि...जय श्री रवि...जय श्री रवि...