क्या आप जानते है की ऋषियों ने सभी त्यौहार मौसम आधारित बनाये थे जो ज्योतिष के सायन पद्धति पर होते है - जिसे शंकराचार्य ने भी माना था - पर भ्रमित ज्योतिषियों द्वारा ज्योतिष का मूल नहीं समझने से बिना सोचे समझे निरयण पद्धति अपना ली है, जो ऋषियों की बनाई हुई परंपरा के विरोध में तो है ही, बल्कि सभी त्यौहार, मुहूर्त आदि गलत दिनों पर मनाये जा रहे है और कुंडली भी निरयन पद्धति से बनाई जा रही हैं, जबकि आकाशीय ग्रहों की स्थिति निरयन के अनुसार होती ही नहीं है - पर निरयण ज्योतिषी क्यों मानेगे, क्योंकि निरयण ज्योतिषियों का बस यही एक मात्र मंत्र है कि दिमाग बंद रखो और भीड़ के साथ चलो ताकि धंधा चलता रहे। अब सामान्य जन की तो स्थिति है कि आँख बंद करके पंचांग देखा और चले, निरयण ज्योतिषी तो कंप्यूटर वाले हैं, उन्हें इससे क्या लेना-देना कि आकाश में ग्रह स्थिति कुंडली के अनुसार है भी या नहीं, उन्हें तो बस ग्राहकों की खोज करनी है, कौन-सा जातक को दिमाग चलाना है, ऐसे निरयण ज्योतिषी धन्य हैं।
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