करवा चौथ
दिनांक - 2 अक्टूबर 2023
करवा चौथ का त्योहार अष्टम मास (आठवां माह) ऊर्ज मास (कार्तिक मास) के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं, साथ ही अच्छे वर की कामना से अविवाहिता स्त्रियों के करवा चौथ व्रत रखने की भी परम्परा है।
नियम
यह व्रत सूर्योदय से पहले से प्रारंभ कर चंद्र निकलने तक रखना चाहिए और चन्द्र-दर्शन के पश्चात ही इसको पूर्ण करना चाहिए। शाम के समय चंद्रोदय से 1 घंटा पहले सम्पूर्ण शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की पूजा की जाती है। पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए तथा स्त्री को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
कथा
करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार एक साहूकार के सात पुत्र थे और करवा नाम की एक पुत्री थी। एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया। रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उससे भी भोजन करने का आग्रह किया। उसने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चंद्र नहीं निकला है और वह चन्द्र-अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी। अपनी सुबह से भूखी-प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी गयी। सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला कि व्रत तोड़ लो, चंद्रमा निकल आया है। बहन को भाई की चतुराई समझ में नहीं आयी और उसने खाने का निवाला खा लिया। निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले वर्ष कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उसका पति पुनः जीवित हो गया।
पूजा-विधि
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके पूजा घर की सफ़ाई करें। फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। यह व्रत आपको सूर्यास्त होने के पश्चात् चन्द्र-दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल भी नहीं पीना चाहिए। संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए ख़ास मिट्टी के कलश) रखें। पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें। दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहना चाहिए, जिससे वह पूरे समय तक जलता रहे। चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा प्रारंभ की जानी चाहिए। अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाएँ एक साथ पूजा करें। पूजा के दौरान करवा चौथ कथा सुनें या सुनाएँ। चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए।चन्द्र-दर्शन के पश्चात बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिष्ठान, फल, मेवे, रूपये आदि देकर उनका आशीर्वाद ले और सास उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे।
विवस्वान मेडिटेशनम् की ओर से आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं...
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